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शिवलिग से जुङे वैज्ञानिक तथ्य, क्यो शिवलिग पर चढा पानी नाका नही जाता

 शिवलिंग क्या है? क्या यह भगवान शिव का सिर है ?

शिवलिंग के 34 रहस्य…...


अगर समझने की कोशिश करेंगे, तो हरेक मानव के सिर की आकृति शिवलिंग की तरह होती है और दोनों हाथों को आगे कर लें, तो वह जलहरी बन जाती है।


वेद-भाष्यों से निकला मन्त्र है कि-


!!यतपिण्डे-तत ब्रह्माण्डे!!


मतलब यही है कि जैसा सन्सार है, वैसा ही हमारा शरीर है। मनुष्य सृष्टि का सूक्ष्म प्रतिरूप है।


शिवलिंग पूरी तरह पंचमहाभूतों का एक वैज्ञानिक पिंड है। इसीलिए पंचतत्वों को सन्तुलन बनाये रखने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने के निर्देश भारतीय मुनि-महर्षियों ने दिया। स्मरण रहे कि पृथ्वी में जितना जल है, उतना ही हमारे शरीर में ही है। जल से सबकी शुद्धि होती है।


अब आप खुद ही शोध करें…


【1】भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।


【2】 शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।


【3】हमारी संस्कृति, व्रत-उपवास, पूजा-विधान में गहन विज्ञान छिपा हुआ है


【4】भारत की जिस संस्कृति के गर्भ से हम जन्में हैं, वह सृष्टि रचनाकाल से है। ऋषियों ने विज्ञान धर्म या परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया, ताकि लोग परमसत्ता को मानते हुए सदैव स्वस्थ्य-तन्दरुस्त रहें। आगे ये प्रचलन बन गए।


【5】सन्सार में अकेले हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते हैं।


【6】बहुत चमत्कारी बात है कि हिन्दुस्थान में ऐसे सभी स्वयम प्रकट या स्वयम्भू शिवालय हैं, जो उत्तराखंड केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक ही सीधी रेखा में बनाये गये हैं।


【7】भारत के लिए गर्व की बात है कि हमारे वैज्ञानिक त्रिकालदर्शी महर्षियों के पास ऐसा कैसा विज्ञान और तकनीक था जिसे आज तक कोई समझ नहीं पा रहा? 【8】उत्तराखंड में पंचकेदारों में से एक स्वयम्भू केदारनाथ ज्योतिर्लिंग।


【9】तेलंगाना का कालेश्वरम शिवलिंग, इसकी खोज एक मणिधारी नाग ने की थी और महर्षि अगस्त्य ने इसका निर्माण कराया।


【10】तिरुपति के पास आंध्रप्रदेश का वायुतत्व श्रीकालहस्ती शिवलिंग।


【11】चेन्नई के नजदीक तमिलनाडु का पृथ्वीतत्व एकंबरेश्वर।


【12】चिदंबरम में स्थित आकाशतत्व नटराज शिवलिंग और अंततः रामेश्वरम मंदिरों को 79°E 41’54” Longitude की भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है।


ऐसे करोड़ों चमत्कार हैं शिवलिंग के।


【13】इन मंदिरों का लगभग हजारों साल पहले जीर्णोद्धार हुआ। जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध ही नहीं थी। तो फिर कैसे इतने सटीक रूप से इन शिवालयों को बनाया कैसे गया था?


【14】पंचतत्व के 5 शिवालय…


प्रकृति को चलायमान रखने वाले पंचतत्वों में लिंग की ही स्थापना की गई है। ये सिद्ध स्वयम्भू शिवालय ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।


【15】पंचभूत यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। इन्हीं पांच तत्वों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों को की प्राण-प्रतिष्ठा हुई।


¶~ जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल मंदिर में जम्बुकेश्वर में यह त्रिचापल्ली में है,


【16】अग्नितत्व का सृष्टि में सन्तुलन बनाये रखने वाला आग का प्रतिनिधित्व शिवलिंग तिरुवन्नमलई में अरुणाचलेश्वराय के नाम से है। महर्षि रमण की तपस्वी स्थली है। भोलेनाथ के इन्होंने यग्नि में दर्शन किये थे।


【17】वायुतत्व का प्रतिनिधित्व राहु के मंदिर श्रीकालाहस्ती में है। इस शिवलिंग अनेक खासियत हैं। शिवलिंग में 9 ग्रह, 27 नक्षत्र उत्कीर्ण हैं


【18】चेन्नई के नजदीक कांचीपुरम में एकाम्बरेश्वर शिवलिंग द्वारा पृथ्वीतत्व का प्रतिनिधित्व ओर सन्तुलन किया जा


【19】कभी नटराज शिवालय जाकर ऊपर उठता है शिवलिंग देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे। यहां अंतरिक्ष या आकाश का प्रतिनिधित्व एवं सन्तुलन बनाये रखने के लिए यह मंदिरचिदंबरम में है!


【20】गर्व की बात यह है कि ये सभी पंचभूत शिवालय वैज्ञानिक हैं तथा 5 से 10 किलोमीटर बाकी परिधि में फैले हैं।


कमाल है "महाकाल" से शिव ज्योतिर्लिंगों के बीच सम्बन्ध देखिये


उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी रोचक है-



【21】 उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी


【22】 उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी


【23】 उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी


【24】 उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी


【25】 उज्जैन से मल्लिकार्जुन- 999 किमी


【26】 उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी


【27】 उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी


【28】 उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी


【29】 उज्जैन से रामेश्वरम्- 1999 किमी


【30】 उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी


किमी दूरी पर स्थित है.


【31】भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।


【32】 शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें।


【33】 महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।


【34】 क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।


भगवान शिव जी के त्रिशूल का नाम कलातक है ,क्या सत्य है

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