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भगवान शिव को शंख से जल क्यो नही चढाना चाहिये ?

 भगवान शिव पर शंख से जल क्यों नहीं चढ़ाते हैं?

Shiv
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शिव पुराण के अनुसार शंख चूड़ नाम का एक महापराक्रमी दैत्य हुआ करता था।शंखचूड़ दैत्यराज दंभ का पुत्र था । दैत्यराज दंभ को जब बहुत समय तक कोई संतान नहीं हुई तो उसने संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा की। भगवान विष्णु उसकी पूजा से प्रसन्न हुए और बोले मैं तुम्हारी पूजा से प्रसन्न हूं बताइए आप क्या चाहते हैं ?

तब उस दैत्य ने एक महा पराक्रमी पुत्र का वर मांगा। भगवान तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए। तब दंभ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम शंखचूड़ पड़ा। शंख चूड़ ने पुष्कर में ब्रह्मा जी के निमित्त घोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर लिया ।

ब्रह्मा जी से शंख चूड़ ने वर मांगा कि वे देवताओं के लिए अजय हो जाएं। ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहकर उन्हें श्रीकृष्ण कवच दिया। साथ ही ब्रह्मा ने शंखचूड़ को धर्म ध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करने के लिए कहा।


उसके बाद वे अंतर्ध्यान हो गए। ब्रह्मा की आज्ञा से तुलसी और शंख चूड़ का विवाह हो गया। ब्रह्मा और विष्णु के वरदान के मद में चूर व्यक्ति शंखचूड़ ने तीनों लोकों पर स्वामित्व स्थापित कर लिया। देवताओं ने दुखी होकर भगवान विष्णु से मदद मांगी परंतु उन्होंने खुद दंभ को ऐसे पुत्र का वरदान दिया था अतः उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की।

तब भगवान शिव ने देवताओं के दुख दूर करने के लिए निश्चय किया और वहां से चल पड़े।परंतु श्रीकृष्ण कवच और तुलसी के पतिव्रत धर्म के कारण शिवजी भी उनका वध करने में सफल नहीं हो पाए और भगवान विष्णु ने ब्राह्मण रूप धारण करके श्रीकृष्ण कवच दान में ले लिया।

इसके बाद शंखचूड़ का रूप धारण कर समिति के टीम का हरण कर लिया।अब शिव ने शंख चूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया और उनकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ।क्योंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अतः लक्ष्मी व विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है।सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है।

भगवान शिव ने उसका वध किया था इसलिए शंख से भगवान शिव पर जल नहीं चढ़ाया जाता। यही कारण है कि भगवान शिव को शंख से जल चढ़ाया नहीं जाता।

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